आज फिर तुम्हे पुकारा है – 2
तुम्हे पुकारा है तेर बिन कोण हमारा है
आज फिर तुम्हे पुकारा है
हो ……….. हो हो हो
हो भरी सभा में भगतो को इंतजार तुम्हारा है
1 रूप निराकार तुम्हारा
क्रम साकार तुम्हारा
जान सकता है वो ही जो करे विचार तुम्हारा
हे नमन जोतिस रूप को
हा तेरे तो दुःख अनूप को
हो जो खोली में दिखलाया दिखा दे उसी रूप को
हो ……….. हो हो हो
दुनिया में होकर भी तू दुनिया से न्यारा है
आज फिर तुम्हे पुकारा है – 2
2 सहदपुर का एक ग्वाला
था नंदू भोला भाला
चरावे गौ पर्वत पे बनना कैसा भगत निराला
हो दिखाई लीला न्यारी
हा ये आगयी कोण बीमारी
हो देख ब्राम्हण घबराया हुए प्रकट अवतारी
हो ……….. हो हो हो
ज्ञान चक्स खुल गए नाथ जब तुम्हे निहारा है
आज फिर तुम्हे पुकारा है – 2
3 हा मेट संकट के घेरे
पड़े हम द्वारे तेरे
लगी प्रतिकक्षा सबको महर कब बाबा फेरे
हो है बैठे आस लगाए
हा के कब बाबा जी आये
हो दया बस इतनी करना कोई खली ही ना जाए
हो ……….. हो हो हो
तेरे दर्शन की भीख वास्ते हाथ पसारा है
आज फिर तुम्हे पुकारा है – 2
4 प्रेम सिंह बड़ा हौसला
है गुर्जर गोत बैसला
सही और गलत छंद का करेंगे महाराज फैसला
हे तवर जब पहुंचा खोली
हा रहा राकेश ने टोह ली
हो दस गजराज आपका गाम सबका इसरोली
हो ……….. हो हो हो
विक्रम सिंह नादान तेरे दीदार का मारा है
आज फिर तुम्हे पुकारा है – 2