बंसी की टेर सुनुँगी रे सावरिया में तो
जोगन का भेस भरुँगी रे सावरिया में तो
जब रे कन्हैया तोहे भूख लगेगी
माखन और मिश्री बानगी रे सावरिया में तो
बंसी की टेर सुनुँगी रे सावरिया में तो
जोगन का भेस भरुँगी रे सावरिया में तो
जब रे सावरिया तोहे प्यास लगेगी
हे गंगा और जमुना बनूँगी रे सावरिया में तो
बंसी की टेर सुनुँगी रे सावरिया में तो
जोगन का भेस भरुँगी रे सावरिया में तो
जब रे सावरिया तोहे गर्मी लगेगी
बिजली का पंखा बनूँगी रे सावरिया में तो
बंसी की टेर सुनुँगी रे सावरिया में तो
जोगन का भेस भरुँगी रे सावरिया में तो
जब रे सावरिया तोहे नींद लगेगी
मखमल का तकिया बनूँगी रे सावरिया में तो